Editorial: पाक पर पांच कूटनीतिक फैसलों से बड़ी कार्रवाई जरूरी
- By Habib --
- Thursday, 24 Apr, 2025

Big action is necessary against Pakistan through five diplomatic decisions
Big action is necessary against Pakistan through five diplomatic decisions: भारत सरकार ने आतंकवादियों के पोषक पाकिस्तान के खिलाफ पांच कड़े फैसले लेकर उचित ही किया है। हालांकि जरूरत इसकी है कि आतंकियों के सरगना को और भी कड़ी चोट पहुंचाई जाए। पूरे देश की ललकार पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाने की है। बावजूद इसके देश को युद्ध नहीं लड़ना है, यह समय भारत की तरक्की और उन्नति का है। पूरा विश्व आज भारत की ओर से देख रहा है, क्योंकि यहां उसे शांति और व्यवस्था नजर आ रही है, अगर पाकिस्तान जैसे फिरकापरस्त देशों के साथ भारत युद्ध जैसे चरम कदमों को लेकर उलझा तो यह उनकी कामयाबी ही कहलाएगी, क्योंकि वे यही चाहते हैं। वे भारत की तरक्की और उसकी उन्नति से तकलीफ में हैं। गौरतलब है कि इस समय पूरे देश में इसकी मांग हो रही है कि पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत के पास तमाम कूटनीति उपाय हैं, जिनके माध्यम से वह पाकिस्तान की सांसें रोक सकता है।
इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है और केंद्र सरकार की विदेश नीति का लोहा सभी मान रहे हैं। पहली बार हो रहा है, जब अनेक विरोधी और दुश्मन देशों को बेहद खामोशी से उनकी जगह समझा दी गई है। अब बारी पाकिस्तान की है। सदैव से ऐसा होता आया है कि ऐसे हमलों के बाद भारत कुछ दिन की विह्वलता के बाद शांत हो जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए। पाकिस्तान के खिलाफ सीमित और रणनीतिक सैन्य कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन कूटनीतिक मोर्चे पर उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसकाई जानी आवश्यक है। निश्चित रूप से पाकिस्तान की सरकार, उसकी फर्जी आर्मी ने शेर की मांद में दखल दिया है, इसका खामियाजा उसे भुगतना ही पड़ेगा। यह भी कितना बड़ा संबल है कि अमेरिका, रूस और दूसरे बड़े देशों ने आतंक के खिलाफ इस जंग में भारत के समर्थन का ऐलान किया है। रूस जोकि हमेशा से भारत का मित्र है, ने इस दुख की घड़ी में सच्चे दोस्त का फर्ज निभाया है।
वास्तव में ऐसी बातें चिंताजनक हैं, जिनमें कहा गया है कि सुरक्षा एजेंसियों को हमले के इनपुट थे, लेकिन इनकी अनदेखी की गई। इनमें कितनी सच्चाई है, इसका तो निश्चित रूप से आकलन होगा, लेकिन यह आवश्यक है कि राज्य सरकार भी अपनी मौजूदगी का अहसास घाटी में कराए। यह कितना विचित्र है कि राज्य पुलिस बल का कार्य आंतरिक सुरक्षा को कायम रखना है, लेकिन आतंकी जोकि घाटी के लोगों के बीच रहते हुए ही अपने कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं, उनकी जानकारी तक पुलिस को नहीं थी। एक समय जब राज्य में चुनाव नहीं हो रहे थे तो तमाम विपक्षी दल इसकी मांग करते नहीं थकते कि राज्य में चुनाव कराए जाएं। अब जब चुनाव हो गए और पूर्ण बहुमत के साथ नेशनल कांफ्रेंस की सरकार बन गई, तब वह सरकार व्यवस्थित तरीके से शासन कार्य नहीं चला पा रही। वह हर चीज के लिए केंद्र की ओर देख रही है, लेकिन विडम्बना यही है कि केंद्र से मदद के बावजूद वह इसका श्रेय खुद लेने को लालायित रहती है। एक समय विपक्षी दलों ने पाकिस्तान से बातचीत का राग छेड़ा हुआ था। आज स्थिति यह है कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को आतंकियों के खिलाफ प्ले कार्ड लेकर सडक़ पर उतरने का प्रहसन करना पड़ रहा है।
यह तब है, जब उनकी पार्टी की शर्मनाक हार चुनाव में हुई थी। सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षियों ने घाटी से अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने का विरोध किया था। इस ऐतिहासिक घटना के बाद विपक्षी नेताओं को नजरबंद कर देना पड़ा था। हालांकि इन नेताओं की बयानबाजी बंद नहीं हुई। ये सभी पाकिस्तान के प्रति नरमी और उससे बातचीत चाहते हैं, अब जब उसके पोषित आतंकी घाटी में आकर 26 निर्दोष नागरिकों की मौत की वजह बन चुके हैं, तब यही विपक्षी नेता केंद्र से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। विपक्षी दल जिन्होंने अनुच्छेद 370 को खत्म करने का विरोध किया, अब घाटी में आतंकवाद की ऐसी प्रबल घटना के घटने पर केंद्र सरकार पर तोहमत लगाते नजर आ रहे हैं कि उसका दावा तो घाटी से आतंकवाद को खत्म करने का था, फिर यह हुआ क्यों नहीं। देश में हर मसले पर राजनीति की जाती है और ऐसा करने वाले वही हैं, जोकि सुरक्षाबलों से घिरे रहते हैं। वे अगर किसी पर्यटन स्थल पर जाते भी हैं तो सुरक्षा घेरे में। हालांकि देश का आम नागरिक दो पल सुकून को बिताने जाता है, तो उस पर गोलियां बरसा दी जाती हैं।
कश्मीर की जीवन रेखा पर्यटन है और बीते कुछ वर्षों में पर्यटन ने इस राज्य को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया था। इस आतंकी हमले के बाद अनेक बातें साफ हो चुकी हैं। अब घाटी में पाकिस्तान के प्रति नरमी रखने वालों की जगह नहीं है। घाटी का आम नागरिक अब यहां खून-खराबा नहीं चाहता। इसके अलावा पूरा देश अब पाकिस्तान को उसके किए की सजा देना चाहता है। इन सब बातों के परिप्रेक्ष्य में यह समझा जा सकता है कि आतंकवाद अब आखिरी सांस लेने लगा है। यह वारदात पाकिस्तान और उसके पोषित आतंकियों की बौखलाहट का अंतिम प्रयास थी।
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